मोहाली, 11 जनवरी : 6 महीने की प्रीमैच्योर और केवल 790 ग्राम कम वजन की नवजात बच्ची को आईवी अस्पताल में पीडियाट्रिक व ऑनटॉलोजि के सलाहकार डॉ अमित नागपाल द्वारा सफलतापूर्वक इलाज के बाद नया जीवन मिला।
मंगलवार को आईवी अस्पताल में पत्रकार वार्ता के दौरान जानकारी देते हुए डॉ अमित नागपाल ने बताया कि बच्चे की गर्भवती मां सुबह करीब तीन बजे पेट दर्द की शिकायत लेकर आईवी अस्पताल के आपातकालीन विभाग में आई थी । मां को भर्ती किया गया और आगे के मूल्यांकन और उपचार के लिए तुरंत लेबर रूम में स्थानांतरित कर दिया गया।
उसका आकलन किया गया और उसे प्रसव के दूसरे चरण में पाया गया। उसने सुबह 4 बजे बच्ची को जन्म दिया। जन्म के समय बच्ची को बर्थ एस्फिक्सिया (डिलीवरी के समय ऑक्सीजन की कमी) था और वह जन्म के तुरंत बाद वह रोई भी नहीं । बच्ची को इनट्यूबेटेड (नली लगाना ) किया गया और बैग और ट्यूब वेंटिलेशन के साथ एनआईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया।
माता-पिता से सहमति लेने और वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखने के बाद बेबी को एनआईसीयू में भर्ती कराया गया था। माता-पिता को मामले की जटिलता के बारे में बता दिया गया था।
सभी आवश्यक जांच भेजी गई और आई/वी तरल पदार्थ, आई/वी एंटीबायोटिक्स और अन्य सहायक उपचार के साथ उपचार शुरू किया गया। प्रारंभिक जांच में सेप्टिसीमिया और छाती के एक्स-रे से रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम का संकेत मिला, जिसके लिए फेफड़ों की मैच्योरिटी के लिए इंजेक्शन दिया गया।
डॉ नागपाल ने कहा कि वेंटिलेटर सपोर्ट 10 दिनों तक जारी रहा, फिर नॉन इनवेसिव वेंटिलेशन (एनआईवी) कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (सीपीएपी) सपोर्ट दिया गया।
उन्होंने आगे कहा कि, परेंटरल न्यूट्रिशन 1 दिन से शुरू किया गया था। फीड को न्यूनतम एंटरल फीडिंग के साथ शुरू किया गया था और धीरे-धीरे इसको ज्यादा किया गया। अगले कुछ हफ्तों तक एनआईवी सीपीएपी सपोर्ट जारी रहा। बच्चे को प्रीमेच्योरिटी से संबंधित समस्या थी जैसे कि समय से पहले एपनिया, एनीमिया, हाइपरकैल्सीमि
नियमित निगरानी की गई बच्ची व उपचार को अच्छा रिस्पॉन्स कर रही थी। । नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार लेजर थेरेपी दी गई। डॉ नागपाल ने कहा कि धीरे-धीरे फीड का बिल्ड-अप हो रहा था और बच्चे को ट्यूब फीडिंग से ओरल स्पून फीडिंग और फिर डायरेक्ट ब्रेस्ट फीडिंग में स्थानांतरित कर दिया गया।
डिस्चार्ज के दौरान, बच्ची हेमो डायनामिक रूप से स्थिर थी, अच्छी तरह से फ़ीड स्वीकार कर रही थी और वजन बढ़ा रहा था। डॉ नागपाल ने बताया कि बच्ची को 1.45 किलोग्राम वजन के साथ 35 सप्ताह की गर्भकालीन आयु के बाद छुट्टी दे दी गई।
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