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अंबेडकर भवन सेक्टर 37 चंडीगढ़ में बाबा साहब की 130वीं जयंती पर केक काटकर मनाया जन्मोत्सव।

भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर जी की 130वीं जयंती पर डॉ. अंबेडकर स्टडी सर्कल (रजि०) चंडीगढ़, डॉ० अंबेडकर भवन सेक्टर 37 चंडीगढ़ में अंबेडकर भवन के प्रधान इंद्रराज एवं महामंत्री अनिल लामधारिया ने बाबा साहब की 130वीं जयंती पर केक काटकर जन्मोत्सव मनाया। इस मौके पर श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप मेहरा भी विशेषतौर पर उपस्थित रहें।

अम्बेडकर भवन के महामंत्री एवं अधिवक्ता अनिल लामधारिया ने बताया कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को सामाजिक जागरूकता के लिए शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो का मूल मंत्र दिया था। जो आज के समय में सार्थक होता नजर आ रहा है यह मूलमंत्र अब अनुसूचित जाति समाज के युवाओं की जुबान पर बना रहता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने हमेशा ही सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक और उनको अगर भारत का आधुनिक निर्माता भी कहा जाये तो वह भी कम होगा। उन्होंने देश को ऐसा संविधान दिया जिसे विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान होने का गौरव प्राप्त हैं।

श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप मेहरा ने बताया कि बाबा साहब को उनके अनुयायी सविधान निर्माता, ज्ञान के प्रतीक, मानवता एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक कहकर पुकारते हैं। इतना ही नहीं वह उन्हें सर्वोत्कृष्ट सम्मान देते हुए विश्व रत्न कहकर भी संबोधित करते है उनका कहना है कि वैसे तो बाबा साहब अम्बेडकर को भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित मिला हुआ है। उनके अनुयायी विश्व के सभी देशों में रहते है आज बाबा साहब अंबेडकर विश्व की एक बहुत बड़ी आबादी के प्रेरणास्रोत भी हैं उनका जन्मोत्सव विश्व के लगभग सभी देशों में मनाया जाता हैं इसलिए उन्हें विश्व रत्न और विश्व भूषण कहना भी उपयुक्त है। बाबा साहब अंबेडकर ने सारा जीवन अछुतों के लिए संघर्ष किया और सभी को समान अधिकार दिलाने के लिए कार्य किया। हमें बाबा साहब द्वारा दी गई शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

आगे उन्होंने बताया कि उस समय बाबा साहब ने बंबई में एक बड़े घर का निर्माण करवाया था जिसमें उनके निजी पुस्तकालय में 50000 से अधिक पुस्तकें थीं। उन्होंने अपनी एक पुस्तक जाति के विनाश भी प्रकाशित की जो उनके न्यूयॉर्क मे लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी। उन्होने अपनी पुस्तक ‘हू वर द शुद्राज ?’ शुद्र कौन थे ? के द्वारा हिंदू जाति व्यवस्था के पदानुक्रम में सबसे नीची जाति यानी शुद्रों के अस्तित्व मे आने की व्याख्या की, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किस तरह से अछूत, शुद्रों से अलग हैं।

इस कार्यक्रम में अंबेडकर भवन के प्रधान इंद्रराज, महामंत्री एवं अधिवक्ता अनिल लामधारिया, श्री गुरु रविदास विश्व महापीठ के राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप मेहरा, ऑल इंडिया अम्बेडकर महासभा के प्रधान सत्यवान सरोहा, अंबेडकर भवन के उपाध्यक्ष शांति राम, लीगल एडवाइजर सीएल दास, महिपाल, पवन लामधारिया, गुरु रविदास गुरुद्वारा सेक्टर 30 के प्रधान ओम प्रकाश चोपड़ा, हरियाणा सचिवालय से सेक्रेटरी रमेश कुमार सहित अंबेडकर भवन के सभी एक्सिक्यूटिव सदस्य उपस्थित रहें।

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