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क्रिस्चियन समाज ने ईस्टर सप्ताह मनाने की घोषणा की

चंडीगढ़,march,27--उत्तर भारत के ईसाई समुदाय के लोगों ने मार्च 28 रविवार को पड़ने वाले पाम संडे से लेकर 04 अप्रैल तक पुरे सप्ताह को बड़ी ही सादे और श्रद्धाभाव से मनाये जाने की घोषणा की है।लेकिन इस दौरान कोविड-19 की सभी गाइडलाइन्स का पूरी तरह से पालन भी किया जायेगा।
चंडीगढ़ में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में समुदाय के नेताओं ने कहा कि मार्च माह के अंतिम सप्ताह से अप्रैल माह के पहले सप्ताह तक का समय ईसाई समुदाय के लिए बेहद ही पवित्र समय लेकर आया है।  मार्च 28 रविवार को पाम संडे है, 02 अप्रैल को गुड फ्राइडे और 04 अप्रैल को ईस्टर है। इन पवित्र दिनों को देखते हुए और कोरोना संकट की गंभीरता को भी ध्यान में रखते हुए क्रिस्चियन समुदाय के लोग इसे बेहद ही सादे तरीके से मनाएंगे। ईसाई समुदाय के धार्मिक नेताओं ने कहा कि वो राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन के धन्यवादी है, जिन्होंने ईसाई समुदाय की भावनाओं का ध्यान रखते हुए चर्च बंद नहीं किये है । उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से मौजूदा समय में कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है उसको देखते हुए चर्च प्रबंधन द्वारा भी ईसाई समुदाय के अनुयायिओं को सभी सरकारी गाइडलाइन्स का कड़ाई से पालन करने कि हिदायत जारी कि जा चुकी है। उन्होंने बताया सभी अनुयायिओं को 06 फ़ीट की सामाजिक दूरी, फेस मास्क के साथ साथ सैनिटाइज़र इस्तेमाल पर अमल किये जाने को कहा जा चूका है।*
*उन्होंने बताया कि ईसाई समुदाय के लोग ईस्टर संडे का पर्व बड़े धूमधाम से मनाते हैं, जो कि गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद आता है। ईस्टर को नए जीवन और जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रभु ईसा मसीह के पुनर्जन्म की खुशी में पूरा मसीही समाज खुशियों से झूम उठता है और इस पर्व को बडे़ धूमधाम और उल्लास के साथ मनाता है। ईसाइयों का सबसे बड़ा पर्व है ईस्टर। महाप्रभु ईसा मसीह मृत्यु के तीन दिनों बाद इसी दिन फिर जी उठे थे, जिससे लोग हर्षोल्लास से झूम उठे। इसी की स्मृति में यह पर्व संपूर्ण ईसाई-जगत्‌ में प्रतिवर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि यह पर्व हमेशा एक ही तारीख को नहीं पड़ता।  21 मार्च के बाद जब पहली बार चांद पूरा होता है, उसके बाद के पहले रविवार को ईस्टर का त्योहार होता है।
   वहीँ एक पंजाबी अखबार के पत्रकार द्वारा चर्च को डेरा कहे जाने के सम्बन्ध में पूछे गए सवाल के बारे में समुदाय के नेताओं ने कहा कि मंदिर-मंदिर होता है, गुरुद्वारा- गुरुद्वारा होता है, मस्जिद मस्जिद होती है और चर्च चर्च ही होता है। इन्हे डेरे जैसे शब्द की संज्ञा दे धार्मिक उन्माद नहीं फैलाना चाहिए। पत्रकार को अपनी गरिमा और पेपर की छवि को ध्यान में रखते हुए ऐसी न्यूज़ से परहेज करना चाहिए और समाचारपत्र  को भी चाहिए कि वो इस प्रकार की न्यूज़ को प्रकाशित करनेसे गुरेज करे। उस पत्रकार के साथ कुछ शरारती लोग भी थे, जिन्होंने चर्च में घुस कर चर्च में उस वक़्त चल रही प्रेयर को डिस्टर्ब करने की कोशिश की । नेताओं ने कहा कि चर्च को डेरा कह कर उन्होंने ईसाई धर्म कि तौहीन की है, ईसाई समाज इसे कतई भी बर्दाश्त नहीं करेगा । उन्होंने स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग और समाचारपत्र से इस बाबत पत्रकार के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर ईसाई समुदाय को इन्साफ नहीं मिलता तो वो अपनी आवाज़ राज्य के मुख्यमंत्री सहित माननीय अदालत तक अपनी आवाज़ उठाएंगे।
   इस अवसर पर प्रोफेट बजिन्दर सिंह मिनिस्ट्री के प्रधान अवतार सिंह, उपप्रधान लुक्स मसीह,चेयरमैन संजीव कुमार, सेक्रेटरी राकेश गिल,  ईसाई भलाई बोर्ड पंजाब सरकार के सदस्य सन्नी बावा, पास्टर एसोसिएशन मजीठा के गुलशन, अल्पसंख्यक मोर्चा पंजाब भाजपा के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर  लुक्स मसीह, इंडियन क्रिस्चियन लीग के प्रेसिडेंट अनवर हैप्पी, सेमसन ब्रिगेड क्रिस्चियन युथ के उपप्रधान पतरस सोनी, क्रिस्चियन लीडर लाल मसीह लाली (MC), मसीह एकता संघर्ष कमेटी के कैशियर विलियम जट्टा, पास्टर एसोसिएशन संगरूर के प्रेसिडेंट पास्टर  फ्रांसिस गिल, पास्टर एसोसिएशन पठानकोट के प्रधान  सुशील कुमार,पास्टर एसोसिएशन फिरोजपुर के प्रधान सदहक मसीह, पास्टर एसोसिएशन तरनतारन के प्रधान पास्टर जॉर्ज मसीह, पास्टर एसोसिएशन अमृतसर के प्रधान सैमुएल सोनी सहित  पास्टर एसोसिएशन मोगा के प्रधान  पास्टर सोनू, सेमसन ब्रिगेड पंजाब के चेयरमैन विजय गौरिया और प्रधान याकूब भट्टी, परमजीत सिंह भी मौजूद थे।

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