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मोटापा को हलकेपन से लेना हो सकता है खतरनाक , डाक्टर के एस कुलार

लुधियाना  31 मार्च 2021डाक्टर के एस कुलार के अनुसार मोटापे  को हलकेपन से नही लेना चाहिए,  उनके अनुसार मोटापा एक जटिल बीमारी है। जो कि व्यक्ति के मानसिकशारीरिक व सामाजिक व आर्थिक जीवन को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मोटापा व डायबिटीज को 21 वीं सदी की महामारी बताया है।  मोटापा व  टाइप-2 डायबिटीज बीमारी लगातार बढ रही है।  पूरी दुनिया में मोटापा सबसे ज्यादा होने वाली मेटाबोलिक बीमारी के रूप में उभर कर सामने आया है।  पूरी दुनिया में इस बीमारी के मामले लगातार बढ रहे हैं। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी मोटापा के ग्रसित हैं।  

मोटे लोगों के लिए कई तरह की बीमारियों का रिस्क रहता है जिसमें  टाइप-2 डायबिटीक मेलीटिसकार्डियोवस्कुलर डिसीजहायपरटेंशनडिसलिपिडीमियारेस्पिरेटरी डिसीसेसओस्टियो आर्थारिटीज व मानसिक अवसाद जैसी बीमारियां शामिल हैं । 

कई तरह के शोधों से यह साबित होता है कि  मोटापा व डायबिटीज बीमारी में गहरा रिश्ता है।  उन लोगों में डायबिटीज बीमारी का खतरा ज्यादा हो जाता है जिनका बीएमआई  25 से ज्यादा होता है। 

कई तरह के शोधों से यह जाहिर होता है कि मध्यम उम्र के उन भारतीय लोगों में जिनका बीएमआई 23 से ज्यादा है उनमें  टाइप टू डायबिटीज डिसीसेस होने का ज्यादा खतरा होता है।  

मॉर्बिड ओबेसिटी के सर्जिकल ट्रीटमेंट के जरिए डायबिटीज टू के इलाज को मानने की बात को लेकर दस साल से भी ज्यादा हो गए हैं।  

सर्जिकल ट्रीटमेंट के बाद  डायबिटीज को लेकर होने वाली मौतों की संख्या में लगातार कमी आई है और इससे डायबिटीज को नियंत्रित करने में भी मदद मिली हैं।  

डाक्टर कुलार के अनुसार कि  पंजाब में मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण आरामदायक सामाजिक जीवन शैली है जिसमें बाहर खाने पर जोर दिया जाता है। प्रदेश में लोगों  का जंक फुड का या फिर बफे सिस्टम में खाने का रुझान है।  

आमतौर पर लोग इस तरह का खाना शराब के साथ लेते हैं। इन सबके बावजूद यह भी यह तथ्य है कि मोटापे के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं जो कि आनुवांशिक भी होता है पीढी दर पीढ़ी चलता रहता है। 

डाक्टर कुलार के अनुसार कि हाल ही में किए गए शोधों यह साबित होता है कि यदि किसी व्यक्ति को मोटापा के अलावा कोई और बीमारी नहीं है तो उसे गंभीर कोविड 19 बीमारी होने का रिस्क ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि  कोविड 19 खासकर उन मरीजों  क लिए ज्यादा जटिलताएं लेकर आता हैं जिनका बॉडी मास इंडेक्स 30 से ज्यादा होता है।  हाल ही के शोधों से यह जाहिर होता है कि  मोटापा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है और इससे शरीर कई तरह की बीमारियां  का खतरा बढ जाता है। इसलिए मोटापा मौजूदा कोविड 19 की महामारी के दौर में बहुत ही बड़ा रिस्क फैक्टर के रूप में उभरकर सामने आया है।  मोटापा एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज ओबेसिटी स्पेशलिस्ट के कराने की ही जरूरत होती है। ऐसे में सरकार भी अब  कई तरह के गंभीर कदम उठा रही है जिससे इस बीमारी पर रोक लगाई जा सके। 

मोटापा का सही तरह से इलाज किया जा सके इसके लिए इसका बीमा कराना भी एक सही विकल्प है। डाक्टर कुलार ने अपने अनुभवों से बताया कि कई मरीज पैसों की कमी के कारण अपने मोटापे का इलाज नहीं कराते हैं। कुछ मरीज को इस बात को लेकर भी प्रश्न खड़ा करते हैं कि कॉस्मेटिक जरूरतों के लिए पैसों को खर्च करने की क्या जरूरत है। मोटापा एक गंभीर मेडिकल कंडीशन हैं इसलिए यदि इसके इलाज को बीमा से कवर कराने के इसके लिए लोगों को जागरूकता बढेगी।  उन्होंने कहा कि  हालांकि  मोटापे के इलाज के बारे में बड़े पैमाने पर भ्रामक सूचनाएं फैली हैं लेकिन  सही व वैज्ञानिक तरीके से इलाज कराया जाए तो इसका यह बहुत प्रभावी है। 

40 से ज्यादा बीएमआई व 35 से ज्यादा बीएमआई वाले को र्मािबडीटीज के मरीजों के लिए सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है। नई आईआरडीएआई रेगुलेशन के अनुसार बीमा कंपनियों को भी इसके इलाज का खर्चा देने के लिए बाध्य कर दिया गया है। सभी  कंपनियों को यह नियम अक्टूबर 2020 से मानना जरूरी कर दिया गया है।  

केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना बेरियाट्रिक सर्जरी के लिए मरीजों को इलाज के खर्च की भरपाई नवंबर 2013 से कर रही हैं। आईआरडीए ने भी यह स्पष्टीकरण जारी किए है कि सभी सरकारी व निजी बीमा कंपनियां वेट लॉस सर्जरी को भी अपनी बीमा पॉलिसी में शामिल करेंगी। 

अपने स्वास्थ्य बीमाकर्ता द्वारा बेरिएट्रिक सर्जरी लागत को कवर करने के लिएनिम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करना होगा ।  इस सर्जरी को मेडिकल व  डायगोनिस्ट टेस्टिंग के द्वारा प्रमाणित होना चाहिएआपके उपचार करने वाले चिकित्सक को सर्जरी की सलाह देनी चाहिएसर्जरी कराने वाले बीमित व्यक्ति की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और बीएमआई 40 से ज्यादा होना चाहिए। कोरोनरी हृदय रोगनींद बेकाबू टाइप -मधुमेहऔर यकृत रोग आदि मोटापे से संबंधित बीमारियों के लिए  बीएमआई 35 से ज्यादा होना चाहिए।

डाक्टर कुलार के अनुसार मेटाबोलिक सर्जरी न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है बल्कि डायबिटीज को भी निर्यंत्रत करती है।  

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